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  दिन के धुंधल के में, अस्ताचल होते सूर्य के पूर्व, नजर नहीं आता पर होता वहीँ है चाँद। देखता सब चुपचाप रहता है, सूरज के प्रचंड के आगे छिपा रहता है आकाश के अंतस में, और रात में सृष्टि जब करवट बदलती है तब सूरज से कही दूर जलता है चाँद मद्धिम सी रौशनी में बिस्तर पर पड़े-पड़े रोशन करता है स्याह-काले क्षितिज को ,बोलता है हमसे तब ...

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बॉलीवुड:नेपोटिज्म मतलब या तो हमारी तरह या सुशांत की तरह ( My way or Sushant way)

बहुत मासूम लड़की है इश्क़ की बात नहीं समझती।

ओ ! योगी कैलाशी मेरे ध्यान में उतरो मुझमे समाओ।

मन के मटमैले पानी में अब काई जमने लगी है।